अल्मोड़ा के प्रसिद्ध मंदिर | अल्मोड़ा के 7 मशहूर धार्मिक स्थल

traveller Pushpa

अल्मोड़ा नगर उत्तराखंड में बसा हुआ एक पहाड़ी स्थल है l यूँ तो अल्मोड़ा में देखने को कई खूबसूरत स्थल हैं , लेकिन अल्मोड़ा के प्रसिद्ध मंदिर इसे ख़ास बनाते हैं।

पहाड़ों की बात ही कुछ खास होती ही है पर अल्मोड़ा नगर में आते ही इसकी रमणीयता के दर्शन हो जाते हैं। रास्ते में बांज, देवदार, चीड़, बुरांश, काफल आदि के वृक्ष मन को मोहित कर देते हैं l श्रद्धालुओं के लिए इस जगह का अपना महत्व है। 

मेरे इस ब्लॉग में आप सभी के साथ अल्मोड़ा में स्थित धार्मिक स्थलों की जानकारी साझा करुँगी। तो आइये जानें अल्मोड़ा के प्रसिद्ध मंदिर के बारे में ज़रूरी बातें।

अल्मोड़ा के प्रसिद्ध मंदिर

अल्मोड़ा के प्रसिद्ध मंदिर कौन – कौन से हैं ?

उत्तर भारत में स्थित पर्वतीय नगर अल्मोड़ा में घूमने के लिए अनेक जगहें हैं परन्तु अल्मोड़ा धार्मिक दृष्टि से अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है।  अल्मोड़ा में अनेक प्राचीन मन्दिर हैं जैसे -नन्दा देवी, त्रिपुरा सुन्दरी ,पाताल देवी, बेतालेश्वर, स्याही देवी, डोली डाना, बानर देवी आदि , जिन्हे देखने देश विदेश से हज़ारों श्रद्धालु आते हैं।

नीचे अल्मोड़ा के प्रसिद्ध मंदिर की जानकारी है जो यात्री को यहाँ आने से पहले पता होनी चाहिए –

अल्मोड़ा के प्रसिद्द मंदिर

चितई गोलू देवता के मंदिर में आप श्रद्धालुओं द्वारा चढाई गई बहुत सी घंटियां देख पाएंगे

1. चितई गोलू देवता का मन्दिर : न्याय के देवता से करते है लोग न्याय की अर्ज़ी 

अल्मोड़ा से आपको सबसे पहले चितई मन्दिर के लिए आना होगा क्यूंकि चितई मन्दिर यहाँ का प्रसिद्ध मन्दिर है l हालांकि रास्ते में (डाना गोलू देव) का मन्दिर पड़ता है पर उस मन्दिर में दर्शन आप चितई मन्दिर के बाद करें क्यूंकि ऐसी यहाँ की मान्यता है l

चितई मन्दिर अल्मोड़ा से 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित पिथौरागढ़ मार्ग पर है l इस मन्दिर के निर्माण के सम्बन्ध में कोई भी ऐतिहासिक प्रमाण नहीं हैं पर मन्दिर के पुजारियों का कहना है कि इस मन्दिर का निर्माण 19वीं शताब्दी में हुआ था l

मन्दिर में प्रवेश करते ही आपको असंख्य घण्टियाँ, असंख्य पत्र और ढेर सारी चुनरियाँ टंगी हुई मिलेंगी इन्हीं चीजों से आप श्रद्धालुओं की आस्था का अंदाजा लगा सकते हैं l

गोलू देवता को न्याय के देवता कहा जाता है l जब किसी को कहीं न्याय नहीं मिलता, तो भक्तजन पत्र लिखकर यहाँ मन्दिर में टांगते हैं और जब उन्हें गोलू देवता की कृपा से न्याय मिल जाता है तो भक्तजन घंटी, चुनरी आदि इस मन्दिर में चढ़ाते हैं l
अल्मोड़ा के मंदिर

जागेश्वर एक हिंदू तीर्थ शहर है और शैव परंपरा में धामों में से एक है।

2. जागेश्वर धाम : ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण अल्मोड़ा का प्रमुख मंदिर 

जागेश्वर धाम उत्तराखण्ड के कुमाऊँ क्षेत्र में बसा हुआ है और अल्मोड़ा से 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है l देवदारों के घने जंगलों के बीच बसा हुआ जागेश्वर धाम अत्यधिक शांत वातावरण और अत्यधिक ठण्ड वाला क्षेत्र है l जागेश्वर जाने के लिए कुछ बस और टैक्सी आसानी से मिल जाती हैं l

जागेश्वर धाम एक ज्योतिर्लिंग है  जहाँ से ही शिव भक्ति का प्रचार हुआ था l माना जाता है कि जागेश्वर धाम का निर्माण 7 वीं से 18वीं शदी के मध्य हुआ होगा l

मन्दिर में जाने के लिए सबसे पहले आपको पास बनाना होगा l  l यह मन्दिर केदारनाथ शैली में बना हुआ है l यहाँ पर 125 छोटे बड़े मन्दिर स्थित हैं l 108 भगवान शिव के मन्दिर हैं और 17 मन्दिर अन्य देवी -देवताओं के मन्दिर हैं l

वैसे तो साल भर यहाँ अनेकों भक्तजन आते हैं परन्तु सावन के महीने में जागेश्वर धाम में सबसे अधिक संख्या में भक्तजन आते हैं क्यूंकि सावन माह भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है l

दिसम्बर से मार्च के समय में यहाँ सबसे अधिक ठण्ड पड़ती है l कभी -कभी बर्फ भी पड़ती है l अतः इस वक्त जागेश्वर ना जायें l मार्च के बाद कभी भी इस धाम में जा सकते हैं l

जागेश्वर धाम आकर यहाँ के म्यूजियम को अवश्य देखें,जहाँ से इसके इतिहास के बारे में जान सकते हैं l इस म्यूजियम में इस मन्दिर की कई पुरानी मूर्तियां हैं l

जागेश्वर धाम की एक विशेषता यहाँ का सबसे बड़ा देवदार का पेड़ है l इस पेड़ की खासियत ये है कि ये 100 फिट ऊँचा  है जो कि ऊपर जाके दो हिस्सों में बंट जाता है ऐसा देवदार का पेड़ कहीं और मौजूद नहीं है l भक्तजन इसे शिव -पार्वती का रूप मानते हैं l
अल्मोड़ा के प्रमुख मंदिर

कांची धाम भारत में और भारत के बाहर भी प्रसिद्ध है। मार्क जुकरबर्ग, स्टीव जॉब्स सहित कई प्रसिद्ध लोग इस जगह का दौरा कर चुके हैं।

3. कैंची धाम : विश्व प्रसिद्ध नीम करौली बाबा जी का आश्रम

अल्मोड़ा को आते वक्त रास्ते में ही प्रसिद्ध नीम करौली बाबा जी का आश्रम कैंची धाम है l यहाँ दो घुमावदार मोड़ हैं जो कि कैंची के आकार के हैं इसलिए इस जगह का नाम कैंची पड़ा l

कैंची धाम का मन्दिर सड़क से लगा हुआ है l कुछ सीढ़ियाँ उतरकर आश्रम तक पहुँचा जा सकता है l सड़क के किनारे पार्किंग की व्यवस्था है l श्री नीम करौली बाबा जी के दर्शन करने हर साल अनेकों श्रद्धालु आते हैं l

15 जून को हर वर्ष बाबा जी का जन्मदिन बड़े धूमधाम से मनाया जाता है l प्रसाद में मालपुवे और आलू दिये जाते हैं l इस दिन काफी संख्या में श्रद्धालु देश विदेश से आते हैं l
अल्मोड़ा के प्रमुख मंदिर

कटारमल सूर्य मंदिर में मुख्य देवता के चारों ओर 44 छोटे मंदिर हैं। मंदिर की दीवारों और पैनलों पर अन्य नक्काशी है।

4. कटारमल का सूर्य मन्दिर : भारत के सबसे अनोखे सूर्य मंदिरों में से एक

कटारमल सूर्य मन्दिर अल्मोड़ा से 13 किलोमीटर की दूरी पर, अल्मोड़ा, रानीखेत मोटर मार्ग पर स्थित है l यह मन्दिर 800 वर्ष पुराना है l यह मन्दिर भारत के प्रसिद्ध कोणार्क सूर्य मन्दिर के बाद दूसरा मन्दिर है l

सूर्य मंदिर का निर्माण 9 वीं शताब्दी में कत्यूरी राजाओं ने करवाया था। मुख्य मंदिर के चारों ओर 44 छोटे मंदिर हैं। दूर से देखने पर पूरा नजारा मनमोहक लगता है।

कटारमल सूर्य मंदिर, अपनी शानदार वास्तुकला, कलात्मक रूप से निर्मित पत्थर और धातु की मूर्तियों और खूबसूरती से नक्काशीदार स्तंभों और लकड़ी के दरवाजों के लिए जाना जाता है।

टिप : चितई, जागेश्वर और कटारमल पूरे दिन के लिए गाड़ी बुक कर सकते हैं l लागत -3000रूपये तक होगी 

अल्मोड़ा के प्रमुख मंदिर

कसार देवी मंदिर में सब कुछ है-सुंदर दृश्य, शांति और आध्यात्मिकता

5. कसार देवी मन्दिर: अल्मोड़ा में स्थित एक शांत और आध्यात्मिक धार्मिक स्थल 

कसार देवी मन्दिर अल्मोड़ा से 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है l यह एक आध्यात्मिक क्षेत्र है।इस मन्दिर में पहुँचकर चुंबकीय शक्तियों का एहसास होता है क्यूंकि सदियों पहले यहाँ पर ऋषि मुनियों ने तप किये थे l

यहाँ से प्रकृति का दृश्य बेहद मनोरम प्रतीत होता है l लागत -अल्मोड़ा से 50रूपये प्रति व्यक्ति

मंदिर एक उच्च ऊंचाई पर स्थित है और अपने शांतिपूर्ण वातावरण और मनोरम दृश्यों के लिए जाना जाता है।

6. डोल आश्रम : ध्यान के लिए एक आध्यात्मिक स्थान

अल्मोड़ा से 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित डोल आश्रम गाँव के बीच हरे-भरे जंगलों के बीच स्थित है l इस आश्रम में अस्टधातु से निर्मित डेढ़ टन वजन के साढ़े तीन फुट ऊँचा विश्व का सबसे बड़ा और सबसे भारी श्री यँत्र यहाँ स्थापित किया गया है l

यहाँ पर लगभग 500 लोग एक साथ बैठ कर ध्यान लगा सकते हैं  यहाँ आकर लोगों के मन को एक अजीब शांति का अनुभव होता है l

आश्रम प्रकृति प्रेमियों और श्रद्धालुओं, दोनों के लिए अच्छी जगह है क्यूंकि यहाँ से खूबसूरत दृश्य दिखाई देते हैं l अल्मोड़े से डोल आश्रम आने के लिए आप छोटे वाहन बुक करवा सकते है।
अल्मोड़ा के प्रमुख मंदिर

नंदा देवी मंदिर अल्मोड़ा के स्थानीय बाजार में स्थित है। ऐसा माना जाता है कि यह मंदिर लगभग 1000 साल पुराना है।

7.नंदा देवी मंदिर : अल्मोड़ा का बेहद लोकप्रिय मंदिर 

अल्मोड़ा में एक और प्रसिद्ध मंदिर है – नंदा देवी मंदिर। इसकी स्थानीय लोगों और तीर्थ यात्रियों में बहुत मान्यता है। नंदा देवी को ‘बुराई का नाश करने वाली देवी दुर्गा का अवतार मन जाता है।

नंदा देवी के भव्य स्मारक को एक विशेष पत्थर से सजाया गया है और इस पर लकड़ी की छत है। इस 1000 साल पुराने मंदिर में हजारों की संख्या में श्रद्धालु नंदा देवी का आशीर्वाद लेने आते हैं। यह अल्मोड़ा में घूमने के लिए महत्वपूर्ण स्थानों में से एक है।

यदि आप यहाँ सितम्बर में आएं तोह नंदा देवी मेले में भाग ज़रूर लें।

अल्मोड़ा नगर किस प्रकार पहुँचें?

क्यूंकि अब आप अल्मोड़ा के प्रमुख मंदिर के बारे में जान चुके हैं , चलिए देखते हैं क अल्मोड़ा पहुंचा कैसे जाए।

जब आप अल्मोड़ा पहुँचते हैं तो अल्मोड़ा में अनेक होटलों की सुविधा है l यहाँ पर खाने, पीने और रहने की उचित व्यवस्था है  अगर आप अपने वाहन से आते हैं तो कार पार्किंग के लिए पर्याप्त सुविधा है l आपको उसका किराया देना होगा l

साथ ही अल्मोड़ा आते वक्त रास्ते में चाय, पानी और भोजन आदि के लिए अनेक रेस्टोरेंट और ढाबे आपको मिल जायेंगे l

अल्मोड़ा पहुँचने के लिए आपके पास तीन विकल्प ये रहे :

रेल

अल्मोड़ा नगर में आने के लिए अगर आप रेलमार्ग से आते हैं तो आपको काठगोदाम रेलवे स्टेशन आना होगा l काठगोदाम रेलवे स्टेशन के पास ही आपको छोटे वाहन आसानी से मिल जायेंगे l

बस

अगर आप बस से अल्मोड़ा आना चाहते हैं तो उसके लिए आपको हल्द्वानी बस स्टेशन आना होगा l

निजी वाहन

अगर आप अपने वाहन से अल्मोड़ा आते हैं तो आप काठगोदाम के रास्ते अल्मोड़ा पहुँच सकते हैं l

तो यदि आप उत्तराखंड में किसी धार्मिक स्थल में जाना चाहते हैं तो अल्मोड़ा के प्रसिद्ध मंदिर ज़रूर आएं। अल्मोड़ा के प्रमुख मंदिर आपको न केवल एक आध्यात्मिक वातावरण प्रदान करेंगे बल्कि आपको एक सुंदर प्राकृतिक अनुभव भी प्रदान करेंगे।

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Pushpa Pant

पुष्पा पंत जी की जन्मस्थली नैनीताल है और वे वर्तमान में उत्तराखण्ड के अल्मोड़ा नगर में रहती हैं। पुष्पा जी को नयी जगहें देखने और उनके सभी पहलुओं को खोजने में रूचि रखती हैं। इस ब्लॉग के माध्यम से वे अपने की विशेषताओं को उजागर करना चाहती हैं।